खुदाई में मिली मां काली की प्राचीन मूर्ति

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     बनिया तालाब के पास खुदाई में मिली मां काली की प्राचीन मूर्ति

    खुदाई में मिली मां काली की प्रतिमा



    बेमेतरा जिले की पुरानी बस्ती रांका के बनिया तालाब के पास स्थित मैदान में खुदाई के दौरान मां काली की प्राचीन मूर्ति मिली है। गुरुवार को शाम पांच बजे ग्रामीण सदाराम निषाद अपने बच्चे के साथ मैदान में जिमिकंद निकालने के लिए खुदाई कर रहे थे। इस दौरान उसके पुत्र को अचानक से मां काली की मूर्ति दिखाई दी। शुरुआत में मां काली की मुकुट व चेहरा दिखाई दे रहा था । उसके बाद ग्रामीणों ने खुदाई की तो मां काली की प्रतिमा के एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में असुर का कटा हुआ सिर लिए दिखाई दी। फिर प्रतिमा के गले में असुरों का कटा सिर दिख रहा था। इसकी खबर लगते ही देखते ही देखते ग्रामीणों की भीड़ लग गई। दिन से रात तक लोग दर्शन करने पहुंचते रहे। लोग फुल, चावल, नारियल, पैसे आदि पूजा समान से लोग पूजा कर रहे हैं। आस-पास के गांव जैसे झलमला पेंड्री, कठिया, कुरूद, जौग, किरितपुर, जेवरा, सिमगा, बेमेतरा से बड़ी संख्या में लोग दर्शन करने पहुंच रहे हैं। ग्रामीणों की सहयोग से मंदिर निर्माण कर मूर्ति संरक्षित करने की योजना है। 

    कलचूरी वंश से जुड़ा मां महामाया मंदिर का इतिहास

    यहां के ग्रामीण बताते है कि रांका में आज भी अनेकों स्थानों में खुदाई के दौरान प्राचीन अवशेष मिलते हैं जैसे – प्रतिमा, बर्तन सहित अनेक वस्तुएं शामिल है। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि मां महामाया मंदिर का इतिहास कलचुरी वंश से जुड़ा है। महामाया मंदिर के किनारे कलचुरी वंश के राजा महाराजा ठहरते थे। यहां विश्राम करने के बाद रतनपुर के लिए बढ़ते थे। मंदिर के आसपास खुदाई करने के दौरान प्राचीन काल के अवशेष मिलते हैं। रतनपुर में कलचुरी राजवंशों की लहुरी शाखा ने 10 वीं शताब्दी में राज्य स्थापित किया था। 

    मां काली की मूर्ति करीब 100 वर्ष है पुरानी

    जानकारी मिलने पर पुरातत्व विभाग के उपसंचालक जे आर भगत ने प्रतिमा को देखने गए थे। उन्होंने बताया कि खुदाई में मिली मां काली की मूर्ति लगभग 100 वर्ष पुरानी लग रही है। जांच के बाद प्रतिमा की वास्तविकता कितनी पुरानी है पता चल जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्योत्सव के बाद मूर्ति की जांच के लिए विभाग से टीम भेजी जाएगी, ताकि उसके इतिहास के बारे में पता चल सके। इस मूर्ति को संरक्षित करने में काम किया जायेगा। पुरानी बस्ती रांका में जो मां काली की मूर्ति मिली है वो प्राचीन कालीन जमीन से निकली मां महामाया की मूर्ति है। यह 14 वीं शताब्दी की है। वहां के ग्रामीण बताते हैं कि छमसी रात में महामाया मंदिर का निर्माण किया गया जिसमे दो गर्भगृह बनाए गए हैं। एक में भगवान राम-सीता व दूसरे में शंकर – पार्वती की प्रतिमा स्थापित की गई है। इसके अलावा मंदिर के दीवारों में पत्थरों को तराश कर भगवान हनुमान की प्रतिमा अंकित की गई है। 

    जमीन से निकली मां काली की मूर्ति की सुरक्षा के लिए वहां के लोगों ने टेंट लगा दिया है। मां काली की प्रतिमा मनमोहक है। चेहरे पर तेज और गुस्सा की मुद्रा में चित्रित है। दीपावली की त्योहार पर मां काली की प्रतिमा मिलने से वहां के लोग इसको गांव की खुशहाली और समृद्धि का शुभ संकेत मान रहे हैं। 

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