इस दुनिया में बहुत से लोग ऐसे होते हैं, जो धार्मिक भावना से उठकर मानवता की सेवा करना अपना प्रथम कर्तव्य समझते हैं।
मुन्ना मास्टर उर्फ रमजान खान पद्मश्री सम्मान से सम्मानित |
इन्हीं लोगों में से एक हैं मुन्ना मास्टर उर्फ रमजान खान। रमजान खान का बेशक धर्म अलग है लेकिन इसके बावजूद वो और उनका परिवार कृष्ण भक्ति में डूबा हुआ है। वो भगवान के भजनों को गाते हैं और गायों की सेवा करते हैं। मुन्ना मास्टर अपने दोस्तों के साथ गोशाला में भजन – कीर्तन करते हैं। उनकी इसी सेवा भावना को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान में से एक पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया है। एक अलग धर्म के होने के बावजूद गौसेवा करना मुन्ना मास्टर के लिए इतना आसान नहीं था। आइए जानते हैं उनके जीवन का प्रेरणादाई सफर के बारे में।
पिता से मिला विरासत में संगीत
राजस्थान के बगरू जिले के रहने वाले मुन्ना मास्टर उर्फ रमजान खान को संगीत की शिक्षा विरासत में मिली है। उनके पिता मास्टर गफूर खान भी संगीतज्ञ थे। वे कस्बे के प्राचीन जुगल दरबार मंदिर में राधा – कृष्ण और सीताराम के भजन गाते थे। मुन्ना मास्टर उर्फ रमजान खान जो कि अपने पिता के साथ मंदिर में जाते थे और वहां पर अपने पिता के साथ रहकर भजन गायकी का रियाज करते थे। धीरे – धीरे कस्बे सहित क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर होने वाले धार्मिक आयोजनों में अपने भजनों की प्रस्तुति देने लगे। इससे इनकी प्रसिद्धि चारों ओर फैलने लगी। भजन गायकी के साथ मुन्ना मास्टर ने संस्कृत से शास्त्री तक शिक्षा ग्रहण की तथा संगीत विषारद की उपाधि ली है।
कृष्ण भक्ति में डूबा हुआ है मुन्ना मास्टर उर्फ रमजान खान का पूरा परिवार
मुन्ना मास्टर उर्फ रमजान खान का परिवार कृष्ण भक्त है। इनके घर में जगह – जगह भगवान कृष्ण व राधा की तस्वीरें लगी हुई है। मुन्ना मास्टर उर्फ रमजान खान शुरू से ही आर्थिक समस्या से जूझते रहे लेकिन कभी गरीबी को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। मुन्ना मास्टर के चार पुत्र व दो पुत्रियां है। इन सभी को संस्कृत से शिक्षा ग्रहण कराई तथा उन्हें आगे बढ़ाया।
गुरु से मिला गौसेवा का ज्ञान
मुन्ना मास्टर उर्फ रमजान खान भजन व गीत के संसार में अपना जीवन जी रहे थे। इसी बीच उनके गुरु “चंपालाल चौधरी” से उन्हें गौसेवा का ज्ञान प्राप्त हुआ। उनके गुरु ने कहा कि अपना जीवन गौसेवा में समर्पित कर दो तुम्हारा हर मकसद पूरा होगा। तब अपने गुरु के वचनों के साथ चलते हुए रमजान खान ने गौसेवा को अपना जीवन मान लिया। भजन कीर्तन के साथ उन्होंने गांव में गायों की सेवा के लिए गौशाला भी खोल ली। आज वो कई गायों की सेवा करते हैं।
विरोध के बाद भी बच्चों को दिलाई संस्कृत की शिक्षा
मुन्ना मास्टर उर्फ रमजान खान ने बगरू के राजकीय वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत स्कूल में फिरोज खान को प्रवेश दिलाया तो समाज और रिश्तेदारों ने काफी विरोध किया। वे चाहते थे कि घर के पास ही बनी मस्जिद में चलने वाले मदरसे में फिरोज खान पढ़ाई करे, लेकिन रमजान खान उसे संस्कृत का विद्वान बनाना चाहते थे। करीब दस साल तक रिश्तेदारों ने उनसे संबंध तोड़ लिए। इसके बाद भी उन्होंने लोगों की बातों की परवाह नहीं की। यही कारण है कि उनका बेटा फिरोज खान मेहनत के बल पर संस्कृत में शिक्षा शास्त्री तक की शिक्षा ग्रहण करने के बाद पहले जयपुर के संस्कृत कॉलेज में पढ़ाने लगा। बाद में संस्कृत विश्वविद्यालय में गेस्ट फैकल्टी के रूप में जाने लगा।
सरकार ने किया पद्मश्री सम्मान से सम्मानित
मुन्ना मास्टर उर्फ रमजान खान के सेवाभाव और निष्पक्ष भक्ति को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान में से एक पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया है। जब उन्हें पद्मश्री मिलने की सूचना प्राप्त हुई तो वह अपनी गौशाला में गायों की सेवा कर रहे थे। देश के इस बड़े सम्मान के लिए उनका नाम आने पर उन्होंने इसका पूरा श्रेय गौसेवा को दिया।
मुन्ना मास्टर उर्फ रमजान खान के लिए जाति – धर्म से पहले मानव सेवा करना ही उनका प्रथम कर्तव्य होता है। मुन्ना मास्टर ने अपनी सेवा और मेहनत के दम पर अपनी सफलता की कहानी लिखी है। आज वो लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन चुके हैं। मुन्ना मास्टर उर्फ रमजान खान की सेवा भक्ति और उनकी मेहनत की तहे दिल से सराहना करते है।