छत्तीसगढ़ में ग्रेजुएशन यानी बीए-बीकाॅम-बीएससी समेत सभी ग्रेजुएशन कोर्स की पढ़ाई सेमेस्टर सिस्टम से करने के लिए कोर्स तैयार हो गया। कोर्स 3 और 4 साल वाले दो इंट्रीग्रेटेड ग्रेजुएशन के लिए तैयार किए गए हैं। केंद्र की 2020 में जारी नई शिक्षा नीति के तहत प्रदेश में ग्रेजुएशन की पढ़ाई इसी सेशन से सेमेस्टर सिस्टम में लाने की तैयारी थी, लेकिन मामला एक साल के लिए आगे बढ़ गया है।
बीए-बीकॉम-बीएससी के लिए सेमेस्टर कोर्स तय:ग्रेजुएशन के सेमेस्टर पैटर्न का सिलेबस तैयार पर ये अगले साल, इस बार भी वार्षिक परीक्षा
छत्तीसगढ़ में ग्रेजुएशन यानी बीए-बीकाॅम-बीएससी समेत सभी ग्रेजुएशन कोर्स की पढ़ाई सेमेस्टर सिस्टम से करने के लिए कोर्स तैयार हो गया। कोर्स 3 और 4 साल वाले दो इंट्रीग्रेटेड ग्रेजुएशन के लिए तैयार किए गए हैं। केंद्र की 2020 में जारी नई शिक्षा नीति के तहत प्रदेश में ग्रेजुएशन की पढ़ाई इसी सेशन से सेमेस्टर सिस्टम में लाने की तैयारी थी, लेकिन मामला एक साल के लिए आगे बढ़ गया है।
आने वाले सेशन यानी 2023-24 में प्रदेशभर के सरकारी विश्वविद्यालयों में बीए, बीकाॅम, बीएससी समेत ग्रेजुएशन की पढ़ाई मौजूदा वार्षिक परीक्षा सिस्टम से ही होगी। इसीलिए इस साल बजट में भी सेमेस्टर सिस्टम लागू करने के लिए फंड नहीं दिया गया है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ स्टडीज (बीओएस) ने 22 से 26 फरवरी के बीच बीए, बीएससी और बीकॉम का नया सिलेबस फाइनल कर पं. रविशंकर विवि, अटल बिहारी विवि बिलासपुर और हेमचंद यादव विवि दुर्ग के कुलपतियों को सौंप दिया है।
कुलपतियों की ओर से सेमेस्टर सिस्टम का यह सिलेबस जल्द शासन को भेजा जाने वाला है। केंद्र की नई शिक्षा नीति में स्किल डेवलपमेंट पर फोकस है। जानकारों के मुताबिक सेमेस्टर पैटर्न इसी आधार पर तैयार किया गया है। पूरा सिलेबस जॉब और करियर ओरिएंटेड बना है। ग्रेजुएशन की पढ़ाई में सेमेस्टर का यह सिस्टम छत्तीसगढ़ के 8 ऑटोनामस कॉलेजों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसी सत्र से चालू कर दिया गया है।
लेकिन प्रदेश के सभी 9 सरकारी विश्वविद्यालयों और इनके अंतर्गत चल रहे सभी 540 सरकारी व निजी कॉलेजों में इसे इस साल रोका गया है क्योंकि दो साल में दो बार परीक्षा होने की वजह इसका खर्च अधिक है। इस बार के बजट में नए सिस्टम के लिए फंड का प्रावधान नहीं किया गया है। इसलिए इस साल भी छत्तीसगढ़ के 12वीं पास होने वाले रेगुलर या प्राइवेट छात्र ग्रेजुएशन की पढ़ाई वार्षिक परीक्षा सिस्टम से कर सकते हैं, लेकिन यह वार्षिक परीक्षा वाला अंतिम साल ही रहेगा।
सेमेस्टर में परीक्षा साल में दो बार यानी छात्रों को आसानी
वार्षिक या ओल्ड पैटर्न
उच्च शिक्षा के क्षेत्र में पुराना पैटर्न मानी जाने वाली ग्रेजुएशन की पढ़ाई एक साल के कोर्स पर आधारित रहती है। एक्सपर्ट मानते हैं कि यह पैटर्न छात्र पर अतिरिक्त बोझ की तरह है क्योंकि सालभर पूरा कोर्स पढ़ने के बाद परीक्षा देने का मौका एक बार ही मिलता है। कई बार छात्र एक ही मौका मिलने की वजह से अपना सर्वेश्रेष्ठ नहीं दे पाते। अगर फेल हुए तो पूरा एक साल बर्बाद होता है। यही नहीं, सालभर एक ही कोर्स की पढ़ाई होती है, इसलिए प्रोफेसर भी छात्रों का सही मूल्यांकन नहीं कर पाते।
सेमेस्टर या नया पैटर्न
सेमेस्टर सिस्टम में हर 6 महीने में परीक्षा होती है, यानी छात्र को वार्षिक परीक्षा प्रणाली की तुलना में कोर्स को विस्तार से समझने के लिए पर्याप्त समय मिलता है। एक्सपर्ट के मुताबिक इस पद्धति में छात्र पर कम बोझ होता है। छह माह की पढ़ाई के लिहाज से कोर्स कम रहता है, इसलिए छात्र पूरा फोकस कर सकते हैं। सेमेस्टर सिस्टम में प्रोफेसर आसानी से मूल्यांकन कर पाते हैं। यही नहीं, 3 साल में सेमेस्टर की छह परीक्षाओं के परिणाम जोड़कर ग्रेजुएशन के नतीजे आएंगे, जो छात्र की योग्यता के ज्यादा अनुरूप हो सकते हैं।
डॉ. एसएस दीवान, अध्यक्षबोर्ड ऑफ स्टडीज। डॉ. गिरीशकांत पांडेय, पूर्व कुलसचिव रविवि। डॉ. राकेश डेढ़गवें, अध्यक्ष-शैक्षणिक सेवा संघ।
4 साल के कोर्स में पीजी एक साल में कंप्लीट
सेमेस्टर में तीन साल का डिग्री कोर्स अभी वार्षिक परीक्षा जैसा रहेगा। यानी तीन साल में डिग्री कंप्लीट हो जाएगी।
4 साल के कोर्स में ग्रेजुएशन के बाद दो साल का कोई भी पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स एक साल में ही पूरा हो जाएगा।
4 साल के यूजी में पहले साल सर्टिफिकेट, दूसरे साल में डिप्लोमा और तीसरे साल में बैचलर की डिग्री दी जाएगी।
सिलेबस तैयार है
नई शिक्षा नीति के तहत बोर्ड ऑफ स्टडीज से ग्रेजुएशन का नया सिलेबस तैयार करवाया है। इसे लागू करने का निर्णय शासन लेगा। उच्च शिक्षा विभाग की तैयारी है। -शारदा वर्मा, आयुक्त-उच्च शिक्षा