Best poem on Mother in Hindi ll मां पर कविता “मेरी मां”
दोस्तों मैंने मां पर एक कविता लिखी है, वैसे तो मां पर कोई व्याख्या नहीं की जा सकती है। क्योंकि दुनिया की किसी भी कलम में इतनी ताकत नहीं है कि वह मां को परिभाषित कर सके। मां पवित्रता, त्याग, ममता, प्यार की वह मूरत है जिसका कर्ज कभी चुकाया नहीं जा सकता है, एक मां ही है जो सबका ख्याल रखती है।
दोस्तों मां के प्रेम को कुछ शब्दों में स्पष्ट करना बहुत ही मुश्किल है। इस संसार में आप अपनी मां से अधिक किसी से प्रेम नहीं कर सकते। दुनिया में मां का स्थान ईश्वर से भी ऊंचा माना जाता है। इस पृथ्वी पर स्वर्ग को माता – पिता के चरणों में माना जाता है। मां का दिल प्यार, क्षमा, दया और आपके लिए देखभाल से भरा है।
उसकी प्रार्थना इस दुनिया की सबसे मजबूत चीज है, जो हमेशा आपके जीवन में मदद और सुधार करने के लिए आपका अनुसरण करती है। वह आपको हर उस बाधा सी बचाती है, जो आपके रास्ते में खड़ी है। वह प्रेम, निडरता और करुणा की शिक्षिका है।
हर रिश्ते में मिलावट देखी,
कच्चे रंगों की सजावट देखी,
लेकिन सालों साल देखा है मां को,
उसके चेहरे पे ना कभी थकावट देखी,
ना ममता में कभी मिलावट देखी।
दोस्तों अगर हम प्यार की बात करें तो जीवन में हमें अपनी मां से सबसे ज्यादा प्यार मिलता है। हमारी सलामती के लिए मां अपनी जान दांव पर लगा देती है। इस संसार में कोई भी हमें मां से अधिक प्यार नहीं कर सकता। मां का प्यार निस्वार्थ होता है।
मुझे मोहब्बत है
अपने हाथ की सब उंगलियों से क्योंकि
ना जाने किस उंगली को पकड़कर “मां”
ने मुझे चलना सिखाया होगा।
यह जो मां पर कविता मैं आपके साथ शेयर करने जा रहा हूं, इनको आप किसी पेपर में लिख सकते हो या अपने विद्यालय में या फिर अपनी मां के सामने जाकर यह कविता सुना सकते हो।
Best poem on Mother in Hindi |
🥀❤️🌍 “मेरी मां”🌍 ❤️🥀
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ममता की रस बरसाती, ममता की देवी है,
ऐसी है मेरी मां।
कभी डांटती है हमें, तो कभी गले लगा लेती है,
ऐसी है मेरी मां।।
पहले खाना हमें खिलाती, बाद में वह खुद खाती,
ऐसी है मेरी मां।।
हजारों दुःख सहती है, फिर भी कुछ न कहती है,
ऐसी है मेरी मां।।
मां की तुलना हम, किसी से कर न सकते,
ऐसी है मेरी मां।।
जब मां के चरणों में है सारा जहान, तो क्यूं जाएं चारो धाम,
ऐसी है मेरी मां।।
मां केवल जन्म नहीं देती, वह जीवन भी देती है,
ऐसी है मेरी मां।।
मां की ममता को, भगवान भी हैं तरसे,
ऐसी है मेरी मां।।
मां को मैं परिभाषित करूं, मेरी कलम में इतनी ताकत नहीं,
ऐसी है मेरी मां।।
-Naval Kishor Nirmalkar,
Dhamtari (CG)
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मां जैसी कौन है, किसमें मां जैसी बात है।
और मां को मैं लिख सकूं, मेरी क्या औकात है।।
इस कविता को जीतने भी लोग पढ़ रहे हैं, मैं उम्मीद करता हूं कि आपको “मां” पर लिखी हुई यह कविता पसंद आई होगी। आप इस कविता को अपने मित्रों एवं रिश्तेदारों को शेयर कर सकते हैं। और Comment करके अपनी विचार हमारे साथ व्यक्त कर सकते हैं।