जुरासिक काल के एक उड़ने वाले डायनासोर का जीवाश्म हाल ही में स्कॉटलैंड के ऑयल ऑफ स्काई में समुद्र तट किनारे खोजा गया। यह एक टेरोसॉर प्रजाति का डायनासोर था। 8 फीट बड़े विंगस्पेन वाले इस डायनासोर को शैतान जैसा नाम दिया गया है। इसका नाम जार्क स्कीएनएक है।
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जार्क स्कीएनएक जुरासिक काल के समय का टेरोसोर है। जुरासिक काल अर्थात् 20.13 करोड़ साल से लेकर 14.50 करोड़ साल तक का है। यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग में इवोल्यूशन और पैलियोटोलॉजी के प्रोफेसर स्टीव ब्रूसेट ने कहा कि जार्क स्कीएनएक जुरासिक काल के समय का सबसे बड़ा उड़ने वाला डायनासोर था। टेरोसॉर क्रिटेसियस काल से बहुत पहले का जीव है। वह तब पक्षियों के साथ आसमान में प्रतियोगिता कर रहा था।
जल्दी गल जाती थीं हड्डियां
सबसे बड़े टेरोसॉर का जो रिकॉर्ड्स है, उसका नाम था क्वेटजाल कोटलस था। इसका विंग स्पैन 36 फीट लंबा था। यह किसी छोटे विमान के आकार का था। यह बात करीब 7 करोड़ साल पहले की थी। टेरोसॉर को उड़ने के लिए कम वजन की जरूरत थी। साथ ही हल्की हड्डियों की भी। इसलिए इसके जीवाश्म आसानी से नहीं मिलते। क्योंकि हड्डियां जल्दी गल जाती थीं।
उड़ने की क्षमता की थी हासिल
असल में जार्क स्कीएनएक कोई डायनासोर नहीं था। यह असल में पहला ऐसा कशेरुकीय जीव था जिसने उड़ने की क्षमता हासिल की थी। उड़ने का काम टेरोसॉर ने पक्षियों से 5 करोड़ साल पहले ही हासिल कर लिया था। सबसे पुराने टेरोसॉर का जो रिकॉर्ड्स दर्ज है वो 23 करोड़ साल पुराना है। यह ट्राई एसिक का था।
नुकीले दांत आज भी सुरक्षित
यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग में पैलियोटोलॉज की प्रमुख शोधकर्ता और डॉक्टोरल कैंडिडेट नतालिया जैगिलेस्का ने बताया कि उड़ान के लिए जरूरी है कि हड्डियां अंदर से खोखली हो। हड्डियों की दीवारें पतली हों। टेरोसॉर के पास ये सारी खासियतें थी। इसलिए यह बेहद नाजुक होते थे। इनके जीवाश्म ज्यादा दिनों तक सुरक्षित रहने लायक नहीं थे, क्योंकि यह हल्के थे। नाजुक थे। नतालिया ने बताया कि यह जीवाश्म करीब 16 करोड़ साल पुराना है। इसके मछली पकड़ने वाले नुकीले दांत आज भी सुरक्षित है। इसकी हड्डियों को देख कर लगता है कि यह जीवाश्म यानी टेरोसॉर पूरी तरह विकसित होने से पहले मारा गया था। कंप्यूटेड टोमेग्राफी सीटी स्कैन करके जब पता किया गया तो पता चला कि जार्क स्कीएनएक के आंखों का हिस्सा बहुत बड़ा था। उसकी दृष्टि बहुत मजबूत और शक्तिशाली थी।