पूर्वजों की अनोखी परंपरा को ग्रामीणों ने रखा कायम
सेमरा (सी) में कल दिवाली, परसो गोवर्धन पूजा |
इस राज्य में शायद ही ऐसा गांव होगा जहां एक सप्ताह पूर्व सभी त्योहारों को मनाने की परंपरा बरसों से चली आ रही हो। धमतरी जिले के कुरूद ब्लॉक में आने वाले ग्राम सेमरा (सी) में यह अनोखी परंपरा आज भी कायम है। वर्षों से पूर्वजों द्वारा चलाई गई परंपरा को वहां के ग्रामीण सहेज कर रखे हुए हैं और उसे निभाते आ रहे हैं। जिसके चलते 30 अक्टूबर को यहां दिवाली और 31 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा होगी। जिसमें इस बार रात को सांस्कृतिक कार्यक्रम रखा गया है।
पूरे छत्तीसगढ़ में 4 नवंबर को दिवाली में लक्ष्मी पूजन होगा तथा 5 नवंबर को गोवर्धन पूजा होगा। मगर यहां सेमरा (सी) में शनिवार 30 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजन तथा रविवार को 31 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा कर दीपावली का त्योहार मनाया जाएगा। जिसकी तैयारी ग्रामीणों ने कर रखी हुई है। एक सप्ताह पहले सेमरा (सी) में मनाए जाने वाले दीपावली त्योहार के अनूठे परंपरा का निर्वहन करने लोगों ने अपने घरों की साफ – सफाई कर रंग रोगन कर लिया है। गांव के आदिवासी एवं यादव समाज की महिलाएं घरों में पहुंच कर सुआ गायन के साथ नृत्य प्रस्तुत कर रही हैं। लक्ष्मी पूजा एवं गोवर्धन पूजा की रात को सराबोंग एवं मुरमाडी (उड़ीसा) का नाचा कार्यक्रम रखा गया है।
वहां के ग्रामीण बताते हैं कि सेमरा सी में मतभेद और मनभेद की भावना से परे हटकर ग्रामीण पुरानी अनोखी परंपरा को आज भी सहज कर रखे हुए हैं और उसे निभाते आ रहे हैं। अभी तक किसी ने भी सालों पुरानी परंपरा को तोड़ने की कोशिश नही की है। त्योहार पर उत्साह इसी से समझा जा सकता है कि शादी के बाद दूसरे गांवों में जा चुकी बेटियों के साथ उनके परिजन भी इस त्योहार में गांव आते हैं। इस बार बुधवार को दिवाली त्योहार पर परंपरा के अनुसार आदिवासी गोंड समाज की महिलाएं, पुरुष, बच्चों द्वारा गौरा – गौरी की मूर्ति बनाने गौरा जगाने का कार्य प्रारंभ हो चुका है। सुबह से ही मिट्टी लाने बाजा बजाने के साथ गए। शनिवार की मध्य रात्रि गौरा – गौरी की बारात निकलेगी। जिसका गांव के चौक – चौराहों में पूजा अर्चना के साथ स्वागत कर सुख, शांति और समृद्धि की कामना की जायेगी।
रविवार को मवेशियों को खिचड़ी खिलाई जायेगी। शाम को राउत नाचा के साथ साहड़ा देव में गोवर्धन पूजा होगी। जिसमें लोग गोबर का टीका लगाकर एक – दूसरे को दीपावली की शुभकामनाएं देंगे।
मान्यता के अनुसार सेमरा सी गांव में यह अनोखी परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है। वहां के ग्रामीण बताते हैं कि यहां सिदार देव हैं जो गांव में खुशहाली के लिए सपने में दर्शन देकर सारे त्योहारों की उसके निर्धारित समय से एक सप्ताह पहले मनाने के लिए कहा है। इसके बाद से ही दिवाली, होली, पोला और हरेली जैसे त्योहारों को तय तिथि से एक सप्ताह पहले मनाते आ रहे हैं।