एक ही पौधे में उगाएं आलू और टमाटर, पोमैटो कम लागत में कमाएं ज्यादा मुनाफा

 किसानों के लिए यह अच्छी खबर है। वे अब एक ही पौधे से आलू और टमाटर दोनों की फसल एक साथ ले सकेंगे। इससे लागत तो कम आयेगी ही, साथ में मुनाफा भी दुगुना हो जायेगा। कलम बांधकर (ग्राफ्टिंग टेक्नोलॉजी) तैयार किए गए हैं इस पौधे कोई पोमैटो नाम दिया गया है।

आलू और टमाटर (पोमैटो) ग्राफ्टिंग टेक्नोलॉजी

कृषि की शोधार्थी छात्रा ने तीन साल के अनुसंधान के बाद पाई सफलता

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर की सब्जी विज्ञान अध्ययन शाला की शोधार्थी गरिमा दीवान ने तीन साल के अनुसंधान के बाद पोमैटो का पौधा तैयार किया है। गरिमा ने बताया कि आलू और टमाटर के पौधे के तैयार होने का समय व खाद - पानी की मात्रा समान होने के कारण यह अनुसंधान किया गया। इस पौधे के उपयोग से दोनों फसल के लिए अलग - अलग खाद - पानी की जरूरत नहीं होगी। इससे मुनाफा दोगुना हो जायेगा। 

इस तरह किया किया गया तैयार

15 दिन के आलू के पौधे और 25 दिन के टमाटर के पौधे की कलम बांधकर पोमैटो का पौधा तैयार किया गया है। एक पौधा तैयार करने में लगभग 10 रुपए खर्च पड़ेगा। नर्सरी में इसे तैयार किया जा सकेगा।

पहले टमाटर खाओ फिर आलू निकालो

शोधार्थी गरिमा ने बताया कि आलू 100 दिन में तैयार होता है। वही टमाटर 120 से 170 दिनों तक उत्पादन देता है। टमाटर की फसल आनी बंद होने के बाद आलू निकालने से वह परिपक्व मिलेगा।

किसानों के लिए वरदान साबित होगी

विश्वविद्यालय के सब्जी विज्ञान के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. धनंजय शर्मा ने बताया कि सब्जियों में आलू - टमाटर के पौधे की ग्राफ्टिंग टेक्नोलॉजी की तरीका से नए क्षेत्र में प्रवेश का अनुसंधान किया गया है। किसानों के लिए यह वरदान साबित होगी। कम रकवा वाले किसान भी इस तकनीक की मदद से दोनों फसल ले सकेंगे।

 इस पौधे में दो भाग होते हैं। एक जलतंत्र, जहां जड़ होती है और दूसरा प्ररोह तंत्र, जहां फल होता है। प्रकृति की इसी खूबी का इस्तेमाल करके हमने आलू टमाटर के एक पौधे को विकसित किया है। आगे टिश्यू कल्चर की पद्धति से हम लाखों की संख्या में पौधे लगा सकते हैं।

एक ही खेत में हम दो फसल एक साथ लेंगे तो इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी। इसे अभी व्यवसायिक तौर पर लाने के लिए अनुसंधान की आवश्यकता है। इस पर काम चल रहा है।

कृषि विश्वविद्यालय के विज्ञानी एक ही पौधे से आलू और टमाटर की फसल लेने की पद्धति से अवगत कराएं। उद्यानिकी विभाग अपनी नर्सरी के माध्यम से किसानों को पौधा मुहैया कराया जायेगा।



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