स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी रविवार (23 जनवरी) के आंकड़े के अनुसार देश में बीते 24 घंटे में 3 लाख, 33 हजार 533(3,33,533) नए मामले सामने आए हैं जो कि शनिवार की तुलना में 4,171 कम हैं। इस बीच आईआईटी मद्रास के विश्लेषण में R-value को लेकर बड़ी जानकारी सामने आई है।
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भारत में पिछले चार दिनों से लगातार तीन लाख से अधिक मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में ज्यादातर विश्लेषक मान रहे हैं कि भारत में कोरोना की पीक आ चुकी है। इस बीच आईआईटी मद्रास के विश्लेषण ने एक और राहतभरी खबर दी है। इसके मुताबिक लगातार दो हफ्ते से 'आर वैल्यू' में गिरावट दर्ज की गई। फिलहाल देश में 14 जनवरी से लेकर 21 जनवरी के बीच औसत आर वैल्यू घटकर 1.57 पर आ गई है जो कि कोरोना से राहत के संकेत हैं। बता दें कि इससे पहले दिसंबर 2020 और जनवरी 2021 के दो हफ्तों में देश में 'आर वैल्यू' के लगातार बढ़ने के बाद पिछले हफ्ते यानी 7 से 13 जनवरी को पहली बार इसमें गिरावट दर्ज की गई थी। आर वैल्यू जितनी घटेगी संक्रमण दर उतनी घटेगी।
आसान भाषा में समझें क्या है आर वैल्यू (R Value)
आसान वैज्ञानिक भाषा में समझें तो आर वैल्यू (R Value) किसी संक्रमित द्वारा दूसरों को संक्रमित करने की क्षमता का आंकड़ा है। यानी अगर किसी कोरोना संक्रमित की आर वैल्यू एक है, तो उसकी ओर से किसी एक और व्यक्ति को संक्रमित किए जाने का खतरा है। उधर अगर किसी व्यक्ति की आर वैल्यू तीन है, तो वह तीन लोगों के लिए खतरा पैदा कर सकता है। आमतौर पर कोरोना के बड़े स्तर पर फैलने के दौरान इंसानों की आर वैल्यू ज्यादा होती है और लगातार बढ़ते इस आंकड़े को रोकने के लिए सरकारें प्रतिबंधों- कर्फ्यू या लॉकडाउन जैसे कदम उठाती हैं।
25 दिसंबर से 31 दिसंबर तक पूरे भारत में आर वैल्यू 2.9 तक पहुंच गई थी
बताया गया है कि 25 दिसंबर से 31 दिसंबर तक पूरे भारत में आर वैल्यू 2.9 तक पहुंच गई थी, जबकि एक जनवरी से छह जनवरी तक यह आंकड़ा चार तक पहुंच गया था। यानी इस दौरान कोई एक पीड़ित औसत तौर पर अपने साथ चार और को कोरोना संक्रमित कर सकता था। विशेषज्ञों के मुताबिक, हर एक नमूने की जीनोम सीक्वेंसिंग करना संभव नहीं है, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि वायरस की यह लहर मुख्यत: ओमिक्रोन के कारण ही है।
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