पीड़ितों को देना है 8 फरवरी तक अपना मोबाइल फोन
इस्राइली कंपनी एन एस ओ के पेगासस स्पाइवेयर के जरिए सरकार द्वारा नेताओं, पत्रकारों व एक्टिविस्ट की कथित जासूसी की जांच कर रही सुप्रीम कोर्ट की समिति को अब तक सिर्फ दो लोगों ने अपने मोबाइल जांच के लिए सौंपे हैं। समिति ने लोगों से अपील की है कि वे अंतिम तिथि 8 फरवरी तक जांच के लिए मोबाइल सौंप दें। समिति का मानना है कि जासूसी को लेकर शोर मचाने वाले इसकी जांच से कतरा रहे हैं। सवाल उठ रहा है कि क्या विपक्ष भी आरोप लगाकर भाग रहा है?
जांच समिति में गांधीनगर स्थित फॉरेंसिक साइंस कॉलेज के डीन नवीन कुमार चौधरी, केरल के अमृता विश्व विद्या पीठम के प्रो. प्रभाहरण पी और आई आई टी बॉम्बे में संस्थान के अध्यक्ष और एसोसिएट प्रोफेसर अश्विन अनिल गुमास्ते शामिल हैं।
अमेरिकी अखबार ने किया है दावा
अमेरिकी अखबार न्यूयार्क टाइम्स ने दावा किया है कि भारत ने 2017 में इजराइल से 2 अरब डॉलर की रक्षा डील के तहत जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस खरीदा था। इस रक्षा सौदे में भारत ने मिसाइल सिस्टम और हथियार खरीदे थे। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि अमेरिकी जांच एजेंसी ने भी यह सॉफ्टवेयर खरीदा था लेकिन टेस्टिंग के बाद इसका इस्तेमाल नहीं करने का फैसला किया।
जांच कमिटी को अब तक क्या - क्या मिला
कमिटी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि अब तक सिर्फ 2 लोगों का ही जांच के लिए अपनी डिवाइस जमा की है। अब तक कुल 9 लोगों ने अपने बयान दर्ज करवाए हैं। इनमें कुछ साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट, पत्रकार और एक्टिविटी शामिल हैं। एक सांसद ने भी बयान दिया है। इतनी धीमी प्रक्रिया होने से कमिटी की जांच में भी देरी हो रही है। लिहाजा कमिटी ने उन लोगों से सामने आने की अपील ही है जिन्हें अपनी जासूसी होने शक है।
बहुत ही सुंदर जानकारी महोदय
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