Holi Kyu Manate Hai | होली कब हैं। और क्यों मनाते हैं ? होली का त्यौहार जानिए पूरी जानकारी Hindi Me

होली का त्यौहार हिंदू धर्म का पवित्र और मुख्य त्यौहारों में से एक है। होली हम सब मनाते हैं। होली का त्यौहार रंगों का त्योहार है जो वसंत ऋतु में मनाया जाता है। होली का त्योहार होली की रात्रि से एक दिन पूर्व आरंभ हो जाता है। लोग अपने-अपने गाँवों, मुहल्लों में उपलों, लकड़ियों का ढेर इकट्ठा करते हैं। फिर शुभ घड़ी में इस ढेर यानी होलिका में अग्नि प्रज्वलित की जाती है। इसी अग्नि में लोग नए अनाज (गेहूँ, जौ आदि) की बालें भूनकर अपने आराध्य को अर्पित करते हैं। दहन का अगला दिन रंग-भरी होली का होता है। इसे धुलैंडी भी कहते हैं। इस दिन सभी धर्म और जाति के छोटे-बड़े, बच्चे-बूढ़े, स्त्री-पुरुष एक-दूसरे को गुलाल लगाते हैं और रंग डालते हैं। सड़कों पर मस्त युवकों की टोलियाँ गाती-बजाती निकलती हैं। एक-दूसरे को मिठाइयाँ खिलाते हैं और अपने मधुर संबंधों को और भी प्रगाढ़ बनाते हैं। Holi kyu manate hai इसकी पूरी जानकारी नीचे दी गई है यह बहुत आकर्षक और सीख देने वाली कहानी है आइए देखते हैं। 

Holi Kyu Manate Hai
Holi Kyu Manate Hai

होली क्यों मनाई जाती है ?

होली एक ऐसा पवित्र त्योहार है, जिसमें छोटे-बड़े, अमीर-गरीब, जाति-पाँति आदि सभी प्रकार के भेदभाव समाप्त हो जाते हैं। प्रत्येक व्यक्ति एक-दूसरे को गले लगा लेता है। लोग पुरानी से पुरानी शत्रुता भी होली के दिन भुला देते हैं। परंतु यह सब मनाने के बाद भी कई लोग Holi kyu manate hai यह नहीं जानते होली क्यों मनाई गई होली मनाए जाने का कारण कई लोगों को पता नहीं है इसलिए कई लोगों का प्रश्न होता है कि Holi kyu manate hai जान्ने के लिए ब्लॉग को आख़िर तक पढ़ें !..

होली कब है ?

होली ज़्यादा तर मार्च के महीनें में देखने को मिलती है लेकिन तिथि बदलती रहती है। आइए जानते है आने वाले सालों में कौनसी तिथि पर आएगा होली का पर्व।


 वर्ष                      तिथि

होली 2022 19 मार्च 2022

होली 2023 08 मार्च 2023

होली 2024 25 मार्च 2024

होली 2025 14 मार्च 2025

होली मनाए जाने के पीछे कहानी

वैसे तो होली पर कई कहानियां सुनाई वे बताई जाती है लेकिन कुछ कहानियां हैं जो गहराई से हमारी संस्कृति एव भाव से जुड़ी है जान्ने के लिए Holi kyu manate hai के ब्लॉग को पढ़ना जारी रखें।


हिरण्यकश्यप और प्रहलाद की अत्यधिक प्रचलित कहानी

हर त्योहार के पीछे कोई न कोई कहानी या किस्सा प्रचलित होता है। ‘होली’ मनाए जाने के पीछे भी एक कहानी है। कहते हैं कि प्राचीनकाल में हिरण्यकश्यप नामक राजा बड़ा ही अत्याचारी तथा अत्यंत बलशाली असुर राजा था। अपनी शक्ति के मद में चूर होकर वह स्वयं को भगवान मानने लगा। जो अपने को ही भगवान समझता था। उसने सारी प्रजा को आदेश दिया कि सब लोग ईश्वर की आराधना छोड़कर केवल उसी की आराधना किया करें, प्रजा भगवान के स्थान पर उसकी पूजा करती थी,पर उसका बेटा प्रहलाद ईश्वर का अनन्य भक्त था।

उसने अपने पिता की बात न मानी। उसने ईश्वर की भक्ति में ही खुदको लीन रखा। पिता के क्रोध की सीमा न रही। हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मरवाने के बहुत उपाय किए, पर ईश्वर की कृपा से कोई भी उपाय सफल न हो सका।

हिरण्यकश्यप की एक बहन थी, जिसका नाम था, होलिका। उसे यह वरदान प्राप्त था कि आग उसे जला नहीं सकती। हिरण्यकश्यप की आज्ञा से प्रहलाद को होलिका की गोद में बिठाकर आग लगा दी गई, पर ईश्वर की महिमा अपरंपार होती है। प्रहलाद तो बच गया, पर होलिका जल गई। इसी घटना की याद में हर साल रात को होलीका जलाई जाती है और अगले दिन रंगों का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

 भगवान कृष्ण पर आधारित कहानी

होली का पर्व किस खुशी में मनाया जाता है, इसके विषय में अनेक कथाएँ प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार भगवान कृष्ण ने दुष्टों का वध कर गोप व गोपियों के साथ रास रचाई तब से होली का प्रचलन हुआ।

होली के दिन लोग एक दूसरे से मिलने जाते हैं जहां गुलाल और रंग से उनका स्वागत किया जाता है। इस दिन लोग अपनी शत्रुता भूलकर शत्रु को भी गले लगा लेते हैं। होली के रंग में रंगकर धनी-निर्धन, काले-गोरे, ऊंच-नीच, स्त्री-पुरुष, बालक-वृद्ध के बीच की सभी दीवारें टूट जाती है मनुष्य केवल मनुष्य रह जाता है। इस दिन सभी धर्म और जाति के छोटे-बड़े एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं। होली मनाए जाने की पीछे का भाव यह है  कि लोग एक-दूसरे से शत्रुता को भूल जाए। और फिर से रिश्तों की शुरुआत करें होली का त्योहार आपसी मतभेद और बैर को दूर करने का त्योहार है। Holi kyu manate hai ये जान्ने के साथ साथ देश विदेश सभी जगह होली का क्या प्रभाव है और सभी लोग होली कैसे मनाते है ये जानना भी आवश्यक है। पढ़ना जारी रखें।

होली हम कैसे मनाते हैं ?

पहले दिन को होलिका जलायी जाती है, जिसे होलिका दहन भी कहते हैं। दूसरे दिन, जिसे प्रमुखतः धुलेंडी व धुरड्डी, धुरखेल या धूलिवंदन इसके अन्य नाम हैं, लोग एक दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि फेंकते हैं, ढोल बजा कर होली के गीत गाये जाते हैं और घर-घर जा कर लोगों को रंग लगाया जाता है।

होली कब और क्यों मनाया जाता है ?

होली, जिसे ‘रंगों का त्योहार’ के रूप में जाना जाता है, फाल्गुन (मार्च) के महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। होली मनाने के लिए तेज संगीत, ड्रम आदि के बीच विभिन्न रंगों और पानी को एक दूसरे पर फेंका जाता है। भारत में कई अन्य त्योहारों की तरह, होली भी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

होली के त्यौहार पर क्या क्या किया जाता है कोई पांच बातें लिखिए ?

सभी लोग सारे गिले शिकवे को भूल कर एक दूसरे को रंग – गुलाल लगाते हैं। फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को यह त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। बच्चे और युवा रंगों से खेलते हैं और घरों में तरह तरह के पकवान बनाये जाते हैं। होली के एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है।

होली पर निबंध कैसे लिखा जाता है ?

होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है, जिस हर धर्म के लोग पूरे उत्साह और मस्ती के साथ मनाते हैं। प्यार भरे रंगों से सजा यह पर्व हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन खोलकर भाई-चारे का संदेश देता है। इस दिन सारे लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूल कर गले लगते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं। बच्चे और युवा रंगों से खेलते हैं।

होली कितने देशों में मनाई जाती है

विदेशों में होली

पाकिस्तान, बंगलादेश, श्री लंका और मरिशस में भारतीय परंपरा के अनुरूप ही होली मनाई जाती है। प्रवासी भारतीय जहाँ-जहाँ जाकर बसे हैं वहाँ वहाँ होली की परंपरा पाई जाती है। कैरिबियाई देशों में बड़े धूमधाम और मौज-मस्ती के साथ होली का त्यौहार मनाया जाता है।

Holi Kyu Manate Hai  | होली कब हैं। और क्यों मनाते हैं ? होली का त्यौहार जानिए पूरी जानकारी Hindi Me
Holi Kyu Manate Hai | होली कब हैं। और क्यों मनाते हैं ? होली का त्यौहार जानिए पूरी जानकारी Hindi Me 



आज के समय में होली का महत्व

बदलते युग के साथ त्योहारों को मनाने का तरीका और लोगों की नज़र में उसकी महत्वता भी बदलती जा रही है। विश्व भर में युवाओं का क्रेज़ और इंट्रस्ट टेक्नोलॉजी और पार्टी की तरफ ज़्यादा रहता है जिसके कारण वे हर त्यौहार को सलीके से मनाने की जगह उसे पार्टी सेलिब्रेशन के दिन की तरह मनाता है। जैसे पहले ज़्यादातर परिवार सिर्फ गुलाल और फूलों का प्रयोग कर इस त्यौहार को मनाया करते थे लेकिन आज इस प्रक्रिया को अभद्र आकार दे दिया गया है। अब गुलाल और फूलों की जगह केमिकल वाले रंगो और गुब्बारों ने ले ली है। अब लोग अपने घरों में मिठाईयां न बना कर त्यौहार पर बाज़ार की मिठाईयों का सेवन करते हैं। हालाकि कुछ घरों में आज भी होली पुराने रिवाज़ों और रस्मों के साथ मनाई जाती है लेकिन उनकी संख्या काफी कम है। ये सभी प्रक्रिया आज के समय में होली की महत्वता को दर्शाती है। यह हालात हमारी वर्तमान व आगे आने वाली पीढ़ी के लिए खतरे की घंटी है।


निकल पड़ी मद-मस्त ये टोली,
सबकी जुबाँ पे एक ही बोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल,
प्यार की धारा बनेगी होली।

आशा करते हैं कि आपको यह ब्लॉग Holi kyu manate hai , अच्छा लगा होगा।

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