DarkPattern : ई-कॉमर्स कंपनियां डार्क पैटर्न से ग्राहकों को कैसे फंसाती है, सरकार ने लिया एक्शन

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    Dark Pattern : ई-कॉमर्स कंपनियां डार्क पैटर्न से ग्राहकों को कैसे फंसाती है, सरकार ने लिया एक्शन – इंटरनेट के बढ़ते चलन ने ऑनलाइन सर्विस को काफी बढ़ावा दिया है लेकिन इसी के साथ ऑनलाइन फ्रॉड के मामले भी खूब बढ़े हैं. सरकार ने इस पर रोक लगाने के लिए कई सख्त कदम उठाये हैं और ग्राहकों को भी जागरूक रहने को कहा है.

    स्मार्ट फोन और टैब की दुनिया ने हम सबकी लाइफ स्टाइल को बदल दिया है. अब ऑनलाइन खरीदारी और सब्सक्रिप्शन के बढ़ते चलन को देखते हुए ई-कॉमर्स कंपनियां अपनी-अपनी बेवसाइटों पर डार्क पैटर्न (Dark Pattern) का धड़ल्ले से इस्तेमाल करने लगी हैं. लेकिन ग्राहकों के आगे इसका जोखिम भी बढ़ता ही जा रहा है. और यही वजह है कि केंद्र सरकार ने भारतीय ई-कॉमर्स कंपनियों को डार्क पैटर्न से बचने की सलाह दी है.

    उपभोक्ता मामले के सचिव रोहित कुमार के मुताबिक भारत में 75 लोकप्रिय ई-कॉमर्स कंपनियां हैं और इनमें से 97 फीसदी कंपनियां डार्क पैटर्न का इस्तेमाल करती हैं. ग्राहक इनके भ्रामक जाल में फंस जाते हैं. कंपनियों का सब्सक्रिप्शन तो ले लेते हैं लेकिन जब उससे मुक्त होना चाहते हैं तो उसे ऑप्शन जल्दी से नहीं मिलता. वेबसाइट पर अनसब्सक्राइब करने के ऑप्शन को छुपा दिया जाता है.

    डार्क स्पेस को विस्तार से समझिए

    वास्तव में यह एक प्रकार का सब्सक्रिप्शन पैटर्न है जिसे एक बार ले लेने पर उससे बाहर निकलना बहुत सरल नहीं होता. और आपके पैसे आपके अकाउंट से कटते रहते हैं. जाहिर है डार्क पैटर्न ग्राहकों के जोखिम को बढ़ाता है. मान लीजिए किसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के आप यूजर हैं और आपने एक ऐसा पॉप-अप देखा, जिसमें यह पूछा गया होगा कि क्या आप चाहते हैं कि ऐप और वेबसाइट का बेहतर तरीके से इस्तेमाल करना चाहते हैं. और इसी के साथ सेटिंग को पर्सनलाइज्ड करने के लिए ऑप्शन भी दिया गया होगा. इसी ऑप्शन में डार्क पैटर्न होता है.

    सोशल मीडिया के किसी भी प्लेटफॉर्म पर या आपके ईमेल के माध्यम से मार्केटिंग के ऐसे अनेक लिंक और ऑफर आते रहते हैं. इन्हें देखकर कई बार ऐसा महसूस होता है कि ये बहुत आकर्षक और उपयोगी हैं. वास्तव में इनकी डिजाइनिंग और प्रोग्रामिंग ही कुछ इस तरह की होती है कि अक्सर ग्राहक उसके जाल में फंस जाते हैं.

    अक्सर कई वेबसाइटें साइन अप का भी आग्रह करती है. कुकी एक्सेप्ट करने के लिए कह देती है लेकिन आप उससे मुक्त होना चाहें तो मुक्त नहीं हो पाते. उसका ऑप्शन नहीं दिखता, क्योंकि उस ऑप्शन को डार्क बॉक्स में छुपा कर रखा जाता है जो ग्राहकों को दिखाई नहीं देता.

    ई-कॉमर्स कंपनियों पर अब सरकार की सख्ती

    डार्क पैटर्न गैरकानूनी है. इसका उपयोग उपभोक्ताओं को फंसाने के लिए किया जाता है. भारत से पहले यूरोपिय देशों में इसके खिलाफ सख्त कदम उठाये जा चुके हैं. भारत में ग्राहकों को जागरुक करने के लिए सरकार ने नौ प्रकार के डार्क पैटर्न की पहचान की है, जिनके इस्तेमाल से ग्राहकों को लालच में फंसा लिया जाता है. सरकार ने ई-कॉमर्स कंपनियों को डार्क पैटर्न को हटाने को कहा है.

    सरकार ने कहा – 9 प्रकार के डार्क पैटर्न हैं सक्रिय

    केंद्र सरकार ऑनलाइन फ्रॉड पर रोक लगाने के लिए नौ किस्म के डार्क पैटर्न की पहचान की है. ये नौ पैटर्न हैं – अर्जेंसी, बास्केट स्नीकिंग, कंफर्म शेमिंग, फोर्स्ड एक्शन, नैगिंग, इंटरफेस इंटरफेरेंस, बेट एंड स्वीच, हिडेन कॉस्ट और डिस्गस्ड एड्स.

    अब इन डार्क पैटर्न को थोड़ा और विस्तार से समझिए. अर्जेंसी में अक्सर झूठ बोला जाता है. मसलन आपसे ये कहा जाता है कि बहुत कम सामान बचे हैं, स्टॉक खत्म होने वाला है. बास्केट स्नीकिंग में ग्राहक को बिना बताये उसे एक्स्ट्रा प्रोडक्ट दे दिया जाता है और मूल बिल में जोड़ दिया जाता है. कंफर्म शेमिंग में किसी भी साइट में एंट्री कर लेने पर एग्जिट करने में काफी मशक्कत होती है.

    फोर्स्ड एक्शन में ग्राहकों को साइट में तब तक प्रवेश नहीं करने दिया जाता जब तक कि वह कोई प्रोडक्ट सेलेक्ट न कर ले. नैनिंग के तहत ग्राहक को किसी प्रोडक्ट को खरीदने के लिए मजबूर करते रहना तो बेट एंड स्वीच में जिस वस्तु की खरीदारी की जाती है उसके बदले दूसरी वस्तु को बेच दिया जाता है और बहाना बनाया जाता है कि स्टॉक खत्म होने के चलते वैकल्पिक वस्तु की दी गई है. वहीं हिडेन कॉस्ट के तहत पहले बताई गई दर से ज्यादा दर फाइनल बिल में जोड़ दी जाती है.